इस वक़्त ग़ाज़ा में जो अत्याचार हो रहे हैं, वह हमारी रूह को झकझोर देने वाले हैं। मासूम बच्चे, महिलाएँ और निर्दोष लोग बमबारी और भूख के बीच हर दिन संघर्ष कर रहे हैं।
बमों की आवाज़ में बच्चों की हँसी खो गई है।माओं की गोद सूनी हो गई है।हर तरफ़ सिर्फ़ दर्द, आंसू और तबाही है।